शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

मनोविज्ञान का स्वरूप एवं परिभाषा

मनोविज्ञान का स्वरूप तथा परिभाषा

सरल शब्दों में मनोविज्ञान मानसिक प्रक्रियाओं अनुभवों तथा व्यक्त और अव्यक्त दोनों प्रकार के व्यवहार ओं का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन है


मनोविज्ञान शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्द साइके तथा लॉगस से हुई है ग्रीक भाषा में साइके शब्द का अर्थ है आत्मा तथा लॉगस का अर्थ है शास्त्र या अध्ययन

सबसे पहले मनोविज्ञान को आत्मा के अध्ययन से संबंधित विषय माना जाता था भारत में वैदिक तथा उपनिषद काल का प्रमुख उद्देश्य चेतना का अध्ययन तथा मानसिक प्रक्रियाओं के विभिन्न पक्षों का विश्लेषण किया गया इसके उपरांत योग संख्या वेदांत न्याय बौद्ध तथा जैन दृष्टिकोण ओं ने मन मानसिक प्रक्रियाओं तथा मन के नियंत्रण पर विस्तृत जानकारी दी आधुनिक काल में कोलकाता विश्वविद्यालय में 1916 ईस्वी में मनोविज्ञान विभाग की स्थापना की गई


1879 ईस्वी में जब विलियम वुंट ने लिप जिंग विश्वविद्यालय जर्मनी में प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना की तब पश्चिम में मनोविज्ञान का एक आत्मनिर्भर क्षेत्र के रूप में औपचारिक आरंभ हुआ तब से लेकर अब तक मनोविज्ञान के विकास में एक लंबी यात्रा तय की है सामाजिक विज्ञान में आज यह एक बहुत ही लोकप्रिय विषय माना जाता है इसमें सभी प्रकार के अनुभवों मानसिक प्रक्रिया तथा व्यवहार का अध्ययन किया जाता है इन सभी पक्षों का व्यापक विश्लेषण हमें मानव प्रकृति की एक वैज्ञानिक समझ प्रदान करता है


(क) मनोविज्ञान अनुभव का अध्ययन :– मनोवैज्ञानिक कई प्रकार के मानव अनुभव और भावनाओं का अध्ययन करते हैं जिनकी प्रकृति मुख्यतः व्यक्तिगत होती है अनुभव विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे स्वप्न,जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में चेतन अनुभव,और वे अनुभव जब चेतन अवस्था के स्वरूप को ध्यान या चेतना प्रसारी औषधियों के प्रयोग द्वारा परिवर्तित कर दिया गया हो । इस प्रकार के अनुभवों के अध्ययन के द्वारा मनोविज्ञान को को व्यक्तियों के व्यक्तिगत स्वरूप को समझने में सहायता मिलती है ।

(ख) मनोविज्ञान मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन :–  मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन के रूप में मनोविज्ञान मस्तिष्क में हो रही उन क्रियाओं का पता लगाने का प्रयास करता है जिनका स्वरूप वस्तुतः दैहिक न हो । इन मानसिक प्रक्रिया में प्रत्यक्षीकरण, सीखना, याद करना तथा चिंतन आदि सम्मिलित है । यह आंतरिक मानसिक क्रियाएं हैं जिनका प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण नहीं किया जा सकता किंतु व्यक्ति के व्यवहार से इनका अनुमान लगाया जा सकता है उदाहरण यदि कोई व्यक्ति की गई गणित संबंधी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए कुछ निश्चित क्रियाकलाप करता है तब हम कह सकते हैं कि वह चिंतन कर रहा है ।

(ग) मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन :–मनोविज्ञान के अंतर्गत व्यवहार के अध्ययन का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के व्यवहार जैसे साधारण प्रतिवर्ती क्रियाएं (उदाहरण के लिए आंख झपकना), सामान्य प्रतिक्रिया स्वरूप, जैसे मित्रों से बातचीत, भावनाओं का आंतरिक स्थिति का शाब्दिक वर्णन और जटिल व्यवहार,जैसे कंप्यूटर पर कार्य करना, पियानो बजाना और भीड़ को संबोधित करना आदि सम्मिलित है यह व्यवहार या तो प्रत्यक्ष रूप से देखे जा सकते हैं या परीक्षणों द्वारा इन का मापन किया जा सकता है जब एक व्यक्ति दी गई स्थिति में एक    उदीपक के प्रति प्रतिक्रिया करता है तब इस प्रकार के व्यवहार  सामान्यतःशाब्दिक या अशाब्दिक ( उदहारण के लियेचेहरे के हाव-भाव ) रूप से व्यक्त किए जाते हैं

गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

NCERT

प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में एनसीईआरटी की भूमिका  


आप सभी लोग जानते होंगे कि एनसीईआरटी की स्थापना 1 सितंबर 1961 ईस्वी को दिल्ली में की गई थी  । एनसीईआरटी का मुख्य फोकस विद्यालयी शिक्षा में सुधार लाना था । इसका उद्देश्य शैक्षिक मामलों में केंद्र तथा राज्य सरकारों को सलाह देना था । आज भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा के क्षेत्र में कार्यक्रम तथा नीतियां बनाने और उनका क्रियांवयन करने में एनसीईआरटी की विशेषज्ञता का लाभ उठाती हैं ।  NCERT कि एक महासभा होती है जिसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री प्रख्यात शिक्षाविद् तथा अध्यापक प्रतिनिधित्व करते हैं   NCERT के चार उद्देश्य हैं ;-

 1.  विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना

 2 .  प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना 

3. शिक्षा का प्रचार प्रसार करना तथा

 4   देश में विद्यालयी शिक्षा के सम्मुख आने वाली समस्याओं का समाधान करने में सहायता करना ।
        एनसीईआरटी की मुख्य अंतरंग परिषद या प्रबंध परिषद इसकी कार्यकारी समिति केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री समान सभा का पदेन अध्यक्ष होता है । सामान्य सभा में निम्नलिखित सदस्य होते हैं ।

:– सभी राज्य तथा केंद्र शासित क्षेत्रों के शिक्षा मंत्री, यूजीसी का अध्यक्ष,भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सचिव, विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन, केंद्रीय विद्यालयी संगठन का आयुक्त, निदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो, प्रशिक्षण निदेशक, DGET, श्रम मंत्रालय, योजना आयोग के शिक्षा विभाग का एक प्रतिनिधि,  परिषद की कार्यकारी समिति के सभी सदस्य और कुछ ऐसे व्यक्ति 6 से अधिक नहीं, जो भारत सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते हैं;- जिसमें कम से कम 4 अध्यापक होने चाहिए ।

NCERT का सचिव इसका संयोजक होता है । मुख्य समिति की सहायतार्थ तीन उप समितियां होती है  इस समितियां आर्थिक व अन्य परियोजनाएं चला सकती है इस समिति के अध्यक्ष NCERT का निदेशक होता है ।

एनसीईआरटी की स्थापना भारत सरकार ने केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को शिक्षा संबंधी नीतियों को लागू करने में सहायता करने तथा सलाह देने के लिए की गई ।  NCERT का विशेष उद्देश्य विद्यालयी  शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना तथा अध्यापक तैयार करना था । समय के साथ-साथ यह परिषद एक अद्वितीय रूप धारण कर चुकी है जिसमें निरंतर बढ़ते ऐसे क्रियाकलाप संपादित किए जाते हैं जिनमें भारत में विद्यालयी शिक्षा प्रभावित हुई है ।

एनसीईआरटी शैक्षिक शोध कार्यक्रम संचालित करते हैं उसमें सहायता करने तथा शैक्षिक शोध विज्ञान में प्रशिक्षण आयोजित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य संपादित करती है विद्यालय शिक्षा से संबंधित अध्ययनों को प्रोत्साहित करने के लिए और योग्य शोधकर्ताओं का एक निकाय बनाने के लिए शोध वृत्ति दी जाती है । कार्यक्रम सलाहकार समिति एनसीईआरटी की प्रधान संस्था है यह संस्था शोध प्रशिक्षण तथा विस्तार पर योजनाओं से संबंधित सभी प्रस्तावों को जो उचित सलाह के लिए जाते हैं विचार के पश्चात अपनी राय देती है या शोध और प्रशिक्षण परियोजनाएं आराम करती है पर्यवेक्षण करती है तथा मार्गदर्शन भी करती है तत्पश्चात इन से संबंधित योजनाओं की जांच करती है तथा इनको समन्वित करती है बोर्ड तीन स्थाई उप समितियों के माध्यम से कार्य करता है:
 प्रथम,  शोध योजना जो अन्य संस्थाएं एनसीईआरटी को विचाराधीन प्रस्तुत करती है उनको देखने वाली समिति से है 

 द्वितीय,  जिसका संबंध राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के साथ शैक्षिक अध्ययन तथा शोध की योजना बनाने तथा समन्वय करने से है ।

तृतीय,  वह जिसका संबंध विस्तार तथा क्षेत्र सेवा से है ।

एनसीईआरटी ने अपने उद्देश्यों को पूरा करने तथा शोध, उच्च प्रशिक्षण तथा विस्तार सेवाओं को विकसित करने के लिए एक मुख्य संस्थागत एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान तथा क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान स्थापित किए हैं ।

अब जानते हैं एनसीईआरटी का विशिष्ट कार्य ।

1. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा को लागू करना

 2. प्रारंभिक शिक्षा के सार्विकीकरण करना 

3. व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना 

4. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा पर जोर देना 

5. पूर्व बालिका शिक्षा को बेहतर बनाना 

6. मूल्यांकन एवं परीक्षा के प्रति  संकल्पित होना 

7. मूल्य शिक्षा पर जोड़ देना

 8.  शैक्षिक प्रौद्योगिकी की बारे में जानकारी देना

 9. बालिकाओं की शिक्षा को बेहतर बनाना 

10. प्रतिभा की पहचान तथा उसको पोषित करना 

11. निर्देशन तथा परामर्श देना

12.  अध्यापक शिक्षा में सुधार करना

13. उपयुक्त पाठ पुस्तक पुस्तिका अध्यापक निर्देशिका संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार करना

14.  अंतर्राष्ट्रीय.......


इसमें और जोड़ना करना बाकी है

बच्चों के रिकार्डो का रखरखाव

बच्चों के रिकार्डो का रखरखाव 

स्थानीय अधिकारीकी अपने अधिकार क्षेत्र के सभी बच्चों का जन्म से लेकर जब तक वह 14 वर्ष के नहीं हो जाते तब तक रिकॉर्ड रखती है  । यह कार्य वह प्रत्येक घर के सर्वेक्षण के द्वारा प्राप्त करती है । इस रिकॉर्ड का अपडेटिंग प्रतिवर्ष किया जाता है । यहां पर एक अध्यापक के रूप में हमारी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है । अतः हमारा कर्तव्य बन जाता है कि यदि कहीं भी किसी बच्चे के अधिकारों का हनन हो रहा हो तो इसकी सूचना तुरंत स्थानीय अधिकारीकी को दे दिया जाना चाहिए; जैसे बच्चों का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न,विद्यालय में प्रवेश से मना कर देना इत्यादि । इस प्रकार के मुद्दों के प्रति हमें अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है ।  हमें बच्चों की आवश्यकताएं की पहचान करनी चाहिए,  एक योजना बनाकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों को क्रियान्वित कर मॉनिटर करते रहना चाहिए ।

स्थानीय अधिकारीकी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह विद्यालय में मध्यान भोजन की व्यवस्था को मॉनिटर करते रहे ।  जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह योजना बहुत से राज्यों में पहले से ही चल रही है और हम समाचार पत्रों के द्वारा अथवा अन्य मीडिया के माध्यम से इस योजना में चल रहे कदाचार के विषय में सुनते रहे हैं । हमारा यह कर्तव्य बन जाता है कि हम इस प्रकार के कदाचार पर अपने स्तर पर ही रोक लगाने का प्रयास करते। रहे । विद्यालय प्रबंधन समिति एक विद्यालय विकास कार्यक्रम तैयार करती है जो तीन वर्ष तक के लिए होती है । इसमें आधारभूत आवश्यकताएं, मानव संसाधन संबंधी आवश्यकताएं जैसे,आवश्यकता अनुसार अध्यापकों या मुख्य अध्यापकों की नियुक्ति, तथा अन्य वित्तीय आवश्यकताएं सम्मिलित की जाती है हम इस योजना के निर्माण में प्रबंधन समिति की सहायता कर सकते हैं ।
All full forms related to computer click here     https://drive.google.com/file/d/1Z2-WtYEDND0b_gBAv7zdJHPmrVzCHx8h/view?usp=drivesdk


आप लोगों का सहयोगी शिक्षक     वीरेंद्र कुमार मेहता                                              
तारीख 12 अप्रैल 2018

भाषा शिक्षण में आकलन एवं मूल्यांकन के बारे में जानने के लिए दिए हुए लिंक पर क्लिक करे ।http://biruhindustani.blogspot.in/p/1.html?m=1    अथवा
https://youtu.be/HpqrwMAzWWo
त्रिभाषा सूत्र के बारे में जानने के लिए यहां पर क्लिक करेंhttp://biruhindustani.blogspot.in/2018/03/1952-53-1964-66-1.html?m=1








मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

What is lesson plan?

Hi friends HRU?

I hope you would be fine Today.  Let me tell you about :-

What is lesson note ?

:– lesson note is the main components of a detail lesson plan recorded in brief.

A detailed lesson plan prepared by a teacher can be used by other teachers also but a lesson note  prepared by a teacher can be used by him/ her only.

It is a brief write up your plan to teach a lesson in one period in any class .

Hence a  lesson note is essentially a personal note prepared by you for organising your classroom activities.

It may be a brief summary of a lesson in a Teacher's planner /diary;

It is a short evaluation of a lesson by the teacher who delivered it or by another adult who observed it;

It is a message reminding a teacher to revisit some issue in a future lesson;

It is a list of activities to be set by a substitute teacher to be done by a class whose normal teacher is absent ;

It is a teachers worksheet to be monitor buy a senior colleague, listing subject-matter covered by the teacher with a class on a daily, weekly or monthly basis.

A lesson note can be written in one page the flowing basic information need to be recorded in a lesson note :-

1. Date
2. class
3 . period
 4. subject and topic
5.specific learning outcomes

💐It requires teaching learning method

💐 specific learning activities from activity Bank, the serial number of the activities
💐main questions facilitating teaching and assessment,and tentative time required for each major activity .

By Biruhindustani
 Date 3 April 2018


शनिवार, 31 मार्च 2018

विद्यार्थियों के ज्ञान संरचना में एक अध्यापक की भूमिका

एक अध्यापक होने के नाते आप अपने विद्यार्थियों के ज्ञान संरचना में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए ?




मेरे ख्याल से इस प्रश्न का उत्तर जानने में आप हमें सपोर्ट करेंगे ।जो इस प्रकार है:–



1. अपने विद्यार्थियों को बिना आदेश दिए उन्हें नयी अवधारणाओं को सीखने में मदद करना चाहिए ।



2. कक्षा में प्रत्येक विद्यार्थी जो कुछ भी पहले से सीखे हैं उनके अनुभव के प्रति हमें संवेदनशील होना चाहिए ।



3. विद्यार्थियों को वास्तविक संसारिक कार्य करने के लिए देना चाहिए ।



4. नजदीक के वातावरण से जितना संभव हो सके विद्यार्थियों को विषय वस्तु व अनुभव प्रदान करना चाहिए ।



5. वास्तविक संसारिक समस्या सुलझाने व वास्तविक नियमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।



6. किसी भी समस्या समाधान के लिए बहुपक्षीय नजरिया ( विद्यार्थी का) रखने पर प्रोत्साहन करते हुए विभिन्न समाधान खोजना चाहिए ।



7. विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने की अनुमति देना और उन्हें बुद्धिमतापूर्ण प्रश्न उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ।



8. विद्यार्थियों को मन ही मन में सोचने का अभ्यास विकसित करना चाहिए । आप जानते हैं कि बुद्धिमतापूर्ण प्रश्न पूछने की कला को उकसाने से छात्र अंदर ही अंदर मन में सोचते हैं ।



9. कक्षा में सदभावना पूर्वक मिल-जुलकर अधिगम को बढ़ावा देना चाहिए ।



10. एक अध्यापक को चाहिए कि वह अपने अधिगम की वृद्धि का स्वयं विश्लेषण व स्वयं की जांच करें ।



11. अधिगम को वास्तविक, संबंधित व समय के अनुकूल बनाने के लिए वास्तविक संसारिक वस्तुओं और अनुकूलित वातावरण प्रदान करने की कोशिश करना चाहिए ।





मैं वीरेंद्र कुमार मेहता सभी पाठकों से आशा करता हूं की हमारा यह आर्टिकल उन्हें विद्यार्थियों के प्रति एक सही मार्ग सुनिश्चित करेगा ।
शिक्षाकर्मी परियोजना के बारे में जानने के लिए  दिए हुए लिंक पर क्लिक करें । https://youtu.be/50hkDhH_9Pg


गुरुवार, 29 मार्च 2018

शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों के लिए परियोजनाएं

लड़कियों के लिए परियोजनाएं 
By बिरुहिन्दुस्तानी

परिवार तथा समाज के लिए लड़कियों की शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य ने इनकी शिक्षा के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ की ।

1. उपस्थिति के लिए भत्ता:– कक्षा 1 से 5 तक ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए पिछड़े वर्गों की सभी लड़कियों को प्रतिदिन ₹1 भत्ता दिया जाता है, यदि वे विद्यालय में 75% कार्य दिवसों तक उपस्थित रहती है ।

 2. अहिल्याबाई होल्कर द्वारा लड़कियों के लिए निशुल्क यात्रा स्कीम:– 1997 में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के लिए निशुल्क यात्रा स्कीम चलाई ताकि लड़कियां शिक्षा से वंचित ना रह जाए  । यह स्कीम उन्हीं प्रशिक्षण पर लागू है जिनकी उपस्थिति वर्ष में 75% कार्य दिवसों की होगी । 

3. मातृ प्रबोधन परियोजना:– ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभिक शिक्षा के सार्विकीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, माताओं को बच्चे की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास के विषय में शिक्षित करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है ।

4. आर्मी स्कूल:–महाराष्ट्र की लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने नासिक में भोर स्थान पर आर्मी विद्यालय आरंभ किया है जहां पर लड़कियों को कुछ छात्रवृत्ति भी मिलती है तथा यदि वे शारीरिक रूप से फिट है तो आगे प्रशिक्षण देने का अवसर भी दिया जाता है । 

5.  समूह–निवासी विद्यालय:– उन लड़कियों के लिए जो दूरस्थ स्थानों से आती है जिसके कारण विद्यालय में नहीं पहुंच पाती है ऐसी लड़कियों के लिए समूह निवासी विद्यालय का प्रबंध किया गया है ।

त्रिभाषा सूत्र के बारे में जानिए क्लिक कीजिए । http://biruhindustani.blogspot.in/2018/03/1952-53-1964-66-1.html?m=1


किसी प्रकार की त्रुटि संबंधी शिकायत के लिए हमसे संपर्क करें । वीरेंद्र कुमार मेहता मोबाइल नंबर 06200120073



शनिवार, 24 मार्च 2018

यूनिस्को शिक्षा के क्षेत्र। में

पाठ्यक्रम 501, ब्लॉक 3 
प्रारंभिक शिक्षा के सार्विकीकरण में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका  



1. यूनेस्को 

आप जानते हैं कि 16 नवंबर 1945 में लंदन में हुए विश्व सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को – United Nations Educational  Scientific and Cultural Organisation) की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से शांति बढ़ावा को देना था यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में है ।
 यूनेस्को के अनुसार अधिगम का महत्व आर्थिक विकास और शांति से है यूनेस्को एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है यूनेस्को ने स्वतंत्र राष्ट्रों को भौतिक तथा मानव संसाधन सहायता प्रदान करता है ताकि उनका शैक्षिक विकास हो सके यह संस्था अध्यापकों को प्रशिक्षित करने , अध्ययन पाठ्यक्रम निर्मित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर करती है इन्होंने  ही 1990 क जॉमेितीयन सम्मेलन को प्रायोजित किया । इस संस्था ने अपने सहयोगी राष्ट्रों के साथ परामर्श करके सबके लिए शिक्षा अभियान में सहयोग दिया है सबके लिए शिक्षा अभियान के समर्थन में यूनेस्को ने निम्नलिखित दस्तावेजों का निर्माण किया:-

1.  क्रियाविधि योजना :- अर्थात जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिए जाने वाले क्रियाविधि को संगठित तथा युक्ति युक्त करता है ।

 2. सब के लिए शिक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रियाविधि योजना तैयार करने के लिए दिशानिर्देश:- जिसका उद्देश्य सदस्य देशों की राष्ट्रीय सबके लिए शिक्षा योजनाओं के निर्माण में सहायता करना है ।

 3.  सबके लिए शिक्षा के समर्थन में विकास साझीदार सहयोग दस्तावेज:- इसमें मूलाचार तथा कार्यनीतियां सबके लिए शिक्षा पर सूचना बांटने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ बुलेटिन बोर्ड की स्थापना की गई जो महत्वपूर्ण घटनाओं और उपलब्धियों पर नियमित रुप से सूचना देता है।

आइए आप जानते हैं यूनेस्को की सबके लिए शिक्षा के प्रति वचनबद्ध क्या-क्या है?
इसमें इसका पांच केंद्रीय क्षेत्र है 
1  सबके लिए शिक्षा को यूनेस्को के सभी कार्यक्रमों या कार्यकलाप में पूर्ण रूप से संगठित करना हैं ।

 2. सबके लिए शिक्षा के क्रियान्वयन में देशों की सहायता करना – उदाहरण के तौर पर बताएं तो शिक्षा नीतियों के निर्माण में सहायता करना जो अपवर्जित अर्थात Excluded समूह को पोषित करती है ।

 3. क्षमता निर्माण तथा देशों के मध्य आदान-प्रदान के लिए क्षेत्रीय रचना तंत्रों का विकास करना हैं ।

4.  संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग करना तथा बेसिक शिक्षा में अधिक निवेश करना हैं ।और

 5.  सबके लिए शिक्षा का अंतरराष्ट्रीय बैठकों में समर्थन कर वैश्विक स्तर पर सबके लिए शिक्षा की गति को बनाए रखना है ।

मैं अपने पाठकों से आशा करता हूं हमारा यह आर्टिकल पसन्द कर रहे होंगे ।

इसे आप मेरे साथ वीडियो के माध्यम  से पढ़ने के साथ -साथ सुन भी सकते है । नीचे दिए हुए लिंक  क्लिक कीजिए ।

मनोविज्ञान का स्वरूप एवं परिभाषा

मनोविज्ञान का स्वरूप तथा परिभाषा सरल शब्दों में मनोविज्ञान मानसिक प्रक्रियाओं अनुभवों तथा व्यक्त और अव्यक्त दोनों प्रकार के व्यवहार...