माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952 – 53) ने अंग्रेजी के महत्व पर जोर दिया । भारतीय शिक्षा आयोग (1964 – 66) ने भी उसके महत्व को स्वीकारा । इसने दसवीं क्लास तक त्रिभाषा सूत्र की अनुशंसा की जिसके अंतर्गत:–
प्रथम भाषा
स्कूल में पहली भाषा जो पढ़ाई जाए वह मातृभाषा होनी चाहिए या क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए ।
द्वितीय भाषा
1. इसके अंतर्गत हिंदी भाषी राज्यों में द्वितीय भाषा के रूप में उसे स्वीकार किया गया है जो दूसरा आधुनिक भाषा होनी चाहिए( हिंदी को छोड़कर )या अंग्रेजी होनी चाहिए ।
2. ऐसे राज्य जहां पर हिंदी नहीं बोली जाती हैं वहां पर द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी होनी चाहिए ।
तृतीय भाषा
1. ऐसे राज्य जहां पर हिंदी बोली जाती है वहां पर तीसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी या कोई भी एक आधुनिक भारतीय भाषा होना चाहिए जो द्वितीय भाषा के रूप में ना पढ़ी जा रही हो ।
2. ऐसी राज्य जहां पर हिंदी नहीं बोली जाती वहां पर तीसरी भाषा अंग्रेजी होनी चाहिए या एक आधुनिक भारतीय भाषा होनी चाहिए जो कि वहां पर द्वितीय भाषा के रूप में ना पढ़ी जा रही हो ।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार, ' भारत के बहुभाषी समाज में अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है । अंग्रेजी शिक्षण का लक्ष्य ऐसे बहुभाषी लोगों को तैयार करना है जो हमारी भाषाओं को समृद्ध कर सके । विभिन्न राज्यों में अन्य भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी का स्थान बनाने की आवश्यकता है, जहां अन्य भाषाएं अंग्रेजी सीखने–सिखाने को समृद्ध करें, वही अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में अंग्रेजी के वर्चस्व को कम करने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं के मूल्यवर्धन की जरूरत है । अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की अंग्रेजी में बुनियादी दक्षता होनी चाहिए । कक्षा 10 में विद्यार्थियों की असफलता का एक मुख्य कारण अंग्रेजी है ।
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हम फिर आपसे मिलेंगे एक नई आर्टिकल के साथ के साथ तब तक के लिए देखते रहिए हमारे YouTube चैनल बिरुहिन्दुस्तानी For हिंदुस्तान ।
https://youtu.be/xtOhqv9S_EU
जय हिंद ।http://biruhindustani.blogspot.in/2018/03/1952-53-1964-66-1.html?m=1
http://biruhindustani.blogspot.in/2018/03/blog-post_43.html?m=1
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