गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

NCERT

प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में एनसीईआरटी की भूमिका  


आप सभी लोग जानते होंगे कि एनसीईआरटी की स्थापना 1 सितंबर 1961 ईस्वी को दिल्ली में की गई थी  । एनसीईआरटी का मुख्य फोकस विद्यालयी शिक्षा में सुधार लाना था । इसका उद्देश्य शैक्षिक मामलों में केंद्र तथा राज्य सरकारों को सलाह देना था । आज भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा के क्षेत्र में कार्यक्रम तथा नीतियां बनाने और उनका क्रियांवयन करने में एनसीईआरटी की विशेषज्ञता का लाभ उठाती हैं ।  NCERT कि एक महासभा होती है जिसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री प्रख्यात शिक्षाविद् तथा अध्यापक प्रतिनिधित्व करते हैं   NCERT के चार उद्देश्य हैं ;-

 1.  विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना

 2 .  प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना 

3. शिक्षा का प्रचार प्रसार करना तथा

 4   देश में विद्यालयी शिक्षा के सम्मुख आने वाली समस्याओं का समाधान करने में सहायता करना ।
        एनसीईआरटी की मुख्य अंतरंग परिषद या प्रबंध परिषद इसकी कार्यकारी समिति केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री समान सभा का पदेन अध्यक्ष होता है । सामान्य सभा में निम्नलिखित सदस्य होते हैं ।

:– सभी राज्य तथा केंद्र शासित क्षेत्रों के शिक्षा मंत्री, यूजीसी का अध्यक्ष,भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सचिव, विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन, केंद्रीय विद्यालयी संगठन का आयुक्त, निदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य शिक्षा ब्यूरो, प्रशिक्षण निदेशक, DGET, श्रम मंत्रालय, योजना आयोग के शिक्षा विभाग का एक प्रतिनिधि,  परिषद की कार्यकारी समिति के सभी सदस्य और कुछ ऐसे व्यक्ति 6 से अधिक नहीं, जो भारत सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते हैं;- जिसमें कम से कम 4 अध्यापक होने चाहिए ।

NCERT का सचिव इसका संयोजक होता है । मुख्य समिति की सहायतार्थ तीन उप समितियां होती है  इस समितियां आर्थिक व अन्य परियोजनाएं चला सकती है इस समिति के अध्यक्ष NCERT का निदेशक होता है ।

एनसीईआरटी की स्थापना भारत सरकार ने केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को शिक्षा संबंधी नीतियों को लागू करने में सहायता करने तथा सलाह देने के लिए की गई ।  NCERT का विशेष उद्देश्य विद्यालयी  शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना तथा अध्यापक तैयार करना था । समय के साथ-साथ यह परिषद एक अद्वितीय रूप धारण कर चुकी है जिसमें निरंतर बढ़ते ऐसे क्रियाकलाप संपादित किए जाते हैं जिनमें भारत में विद्यालयी शिक्षा प्रभावित हुई है ।

एनसीईआरटी शैक्षिक शोध कार्यक्रम संचालित करते हैं उसमें सहायता करने तथा शैक्षिक शोध विज्ञान में प्रशिक्षण आयोजित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य संपादित करती है विद्यालय शिक्षा से संबंधित अध्ययनों को प्रोत्साहित करने के लिए और योग्य शोधकर्ताओं का एक निकाय बनाने के लिए शोध वृत्ति दी जाती है । कार्यक्रम सलाहकार समिति एनसीईआरटी की प्रधान संस्था है यह संस्था शोध प्रशिक्षण तथा विस्तार पर योजनाओं से संबंधित सभी प्रस्तावों को जो उचित सलाह के लिए जाते हैं विचार के पश्चात अपनी राय देती है या शोध और प्रशिक्षण परियोजनाएं आराम करती है पर्यवेक्षण करती है तथा मार्गदर्शन भी करती है तत्पश्चात इन से संबंधित योजनाओं की जांच करती है तथा इनको समन्वित करती है बोर्ड तीन स्थाई उप समितियों के माध्यम से कार्य करता है:
 प्रथम,  शोध योजना जो अन्य संस्थाएं एनसीईआरटी को विचाराधीन प्रस्तुत करती है उनको देखने वाली समिति से है 

 द्वितीय,  जिसका संबंध राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के साथ शैक्षिक अध्ययन तथा शोध की योजना बनाने तथा समन्वय करने से है ।

तृतीय,  वह जिसका संबंध विस्तार तथा क्षेत्र सेवा से है ।

एनसीईआरटी ने अपने उद्देश्यों को पूरा करने तथा शोध, उच्च प्रशिक्षण तथा विस्तार सेवाओं को विकसित करने के लिए एक मुख्य संस्थागत एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान तथा क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान स्थापित किए हैं ।

अब जानते हैं एनसीईआरटी का विशिष्ट कार्य ।

1. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा को लागू करना

 2. प्रारंभिक शिक्षा के सार्विकीकरण करना 

3. व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना 

4. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा पर जोर देना 

5. पूर्व बालिका शिक्षा को बेहतर बनाना 

6. मूल्यांकन एवं परीक्षा के प्रति  संकल्पित होना 

7. मूल्य शिक्षा पर जोड़ देना

 8.  शैक्षिक प्रौद्योगिकी की बारे में जानकारी देना

 9. बालिकाओं की शिक्षा को बेहतर बनाना 

10. प्रतिभा की पहचान तथा उसको पोषित करना 

11. निर्देशन तथा परामर्श देना

12.  अध्यापक शिक्षा में सुधार करना

13. उपयुक्त पाठ पुस्तक पुस्तिका अध्यापक निर्देशिका संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार करना

14.  अंतर्राष्ट्रीय.......


इसमें और जोड़ना करना बाकी है

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